हृदयकुञ्ज में आओ नाथ
हृदयकुञ्ज में आओ नाथ
चित्त निकेतन में,
आओ मनोहर स्वामी सुन्दर
निशिदिन सुमिरण में।।
प्रेमल मुखरा दिखलाओ
विरह वेदना शांत करो,
दग्ध चित्त को शीतल करो
रहो अंतरमन में।।
लाओ सुपथ पर इस जीवन को
आनन्द स्वरूप है प्रियपरम
करुणामय है प्रेमी प्रियतम।।
अपने ही सुर में बांधो
शरण मे तुम मुझको लाओ,
सुधा - निर्झर से स्नात करो
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